महिलाएँ, जाति एवं सुधार
ज्योतिराव फुले और रामास्वामी नायकर राष्ट्रीय आंदोलन की आलोचना क्यों करते थे? क्या उनकी आलोचना से राष्ट्रीय संघर्ष में किसी तरह की मदद मिली?
वे उच्च जाती के लोगों की अगुवाई में चलाए जा रहे राष्ट्रीय आंदोलन की इसलिए आलोचना करते थे क्योंकि उनका मानना था कि अंतत: यह आंदोलन उच्च जाती के लोगों के उद्देश्यों की ही पूर्ति करेगा। आंदोलन की समाप्ति के पश्चात् ये लोग फिर से 'छुआछूत' की बात करेंगे। एक बार फिर से ये लोग कहेंगे - ' मैं यहाँ और तुम वहाँ '। पेरियार ने छुआछूत की एक घटना के कारण कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया।
हाँ उनकी आलोचना ने राष्ट्रीय संघर्ष में एकता पैदा की। इन निम्न जाति के नेताओं के सशक्त भाषण, लेखन तथा आंदोलनों ने उच्च जाति के राष्ट्रवादी नेताओं को आत्मलोचना तथा इस मुद्दे पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित किया।
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ईसाई प्रचारकों की बहुत सारे लोग क्यों आलोचना करते थे? क्या कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया होगा? यदि हाँ तो किस कारण?
अंग्रेज़ों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौन से नए अवसर पैदा हुए जो 'निम्न' मानी जाने वाली जातियों से संबंधित थे?
ज्योतिराव और अन्य सुधारकों ने समाज में जातीय असमानतयों की आलोचनाओं को किस तरह सही ठहराया?
फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगीरी को गुलामों की आज़ादी के लिए चल रहे अमेरिकी आंदोलन को समर्पित क्यों किया?
'मंदिर प्रवेश आंदोलन' के ज़रिए अम्बेडकर क्या हासिल करना चाहते थे?
ज्योतिराव फुले और रामास्वामी नायकर राष्ट्रीय आंदोलन की आलोचना क्यों करते थे? क्या उनकी आलोचना से राष्ट्रीय संघर्ष में किसी तरह की मदद मिली?
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