आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना
बिरसा की कल्पना में स्वर्ण युग किस तरह के था? आपकी राय में यह कल्पना लोगों को इतनी आकर्षक क्यों लग रही थीं?
बिरसा ने एक ऐसे स्वर्ण युग की बात की जिसमें लोग अच्छी ज़िन्दगी जीते थे, जब वे नदियों पर बांध बनाते थे तथा प्राकृतिक झरनों के उपयोग करते थे, जब वे मुक्त रूप से पेड़- पौधे लगते थे तथा नए-नए बाग़ान तैयार करते थे, साथ ही, अपनी आजीविका के लिए खेती करते थे, जब लोग ईमानदारी से बिना एक दूसरे को हानि पहुँचाएं, साथ साथ रहते थे।
बिरसा की यह कल्पना लोगों को इसलिए आकर्षक लग रही थी की उन्हें विगत समय में ज़मींदारों, सूदखोरों तथा ब्रिटिश अधिकारियों के शोषण के शिकार होना पड़ा था। ब्रिटिश शोषक नीतियों ने उनसे उनके कई पारम्परिक अधिकार छीन लिए थे।
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मध्य भारत में ब्रिटिश भूमि बंदोबस्त के अन्तर्गत आदिवासी मुखियाओं को .............. स्वामित्व मिल गया।
असम के ...............और बिहार की ................में काम करने के लिए आदिवासी जाने लगे।
सही या गलत बताएँ:
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ब्रिटिश शासन में घुमंतू काश्तकारों के सामने कौन सी समस्याएँ थीं?
औपनिवेशिक शासन के तहत आदिवासी मुखियाओं की ताकत में क्या बदलाव आए?
दीकुओं से आदिवासियों के गुस्से के क्या कारण थे?
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