आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना
औपनिवेशिक शासन के तहत आदिवासी मुखियाओं की ताकत में क्या बदलाव आए?
1. उन्हें गाँवों के एक समूह के अपने भू-स्वामित्व को बरकरार रखने की छूट मिली। वे अपनी भूमि पट्टे पर दे सकते थे।
2. उन्हें अंग्रेज़ अधिकारियों को भेंट देना पड़ता था। साथ ही, अंग्रेज़ों का नाम पर उन्हें जनजातीय समूहों को अनुशासित रखना पड़ता था।
3. उनके कई सारे प्रशासनिक अधिकार खत्म हो गए तथा उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने के लिए मज़बूर किया गया।
4. उन्होंने पूर्व में अपने लोगों पर जिस तरह के प्राधिकार के प्रयोग किया था वे सारे प्राधिकार खत्म हो गए। यहाँ तक की वे अपने पारंपरिक रीती- रिवाज़ों को भी पूरा करने में सक्षम नहीं रह गए थे।
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औपनिवेशिक शासन के तहत आदिवासी मुखियाओं की ताकत में क्या बदलाव आए?
दीकुओं से आदिवासियों के गुस्से के क्या कारण थे?
बिरसा की कल्पना में स्वर्ण युग किस तरह के था? आपकी राय में यह कल्पना लोगों को इतनी आकर्षक क्यों लग रही थीं?
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