जाति, धर्म और लैंगिक मसले

Question

बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं।

Answer

यद्यपि संविधान में जातिगत भेदभावों का खंडन किया है और जातिगत अन्यायों को समाप्त करने पर बल दिया है। परन्तु फिर भी आज के समय में भारत में जाती-प्रथा समाप्त नहीं हुई है। छुआछूत की प्रथा आज भी जीवित है।
आज भी एक जाति के लोग दूसरी जाति में विवाह नहीं करते, न ही एक साथ बैठ कर भोजन या अन्य मेल-मिलाप करते है। वर्ण व्यवस्था आज भी मौजूद है, जिन जातियों को पहले शिक्षा से वंचित रखा गया उनके सदस्य आज भी संवैधानिक तौर पर पिछड़े हुए है। आज भी जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अतः कहा जा सकता है कि भारत में अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी है।

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भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है :

सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है कि:
(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इनमें से कौन या कौन-कौन सा कथन सही है?

भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन सा कथन गलत है?

............... पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ़ भारत में ही है।

सूची I और सूची II का मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब खोजें।

  सूची I सूची II
1. अधिकारों और अवसरों के मामले में स्री और पुरुष की बराबरी मानने वाला व्यक्ति (क)सांप्रदायिक
2. धर्म को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति (ख) नारीवादी
3. जाति को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाले व्यक्ति (ग) धर्मनिरपेक्ष
4. व्यक्तियों के बीच धार्मिक आस्था के आधार पर भेदभाव न करने वाला व्यक्ति (घ) जातिवादी

 

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(सा)
(रे)
(गा)
(मा)