भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
संगठित क्षेत्रक:
पंजीकरण: संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य-स्थान आते हैं जहाँ रोज़गार की अवधि नियमित होती हैं और इसलिए लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है। वे क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं।
नियम: वे पंजीकृत होते हैं, इसलिए उन्हें सरकारी नियमों एवं विनियमों का अनुपालन करना होता है। इन नियमों एवं विनियमों का अनेक विधियों, जैसे, कारखाना अधिनियम न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, सेवानुदान अधिनियम, दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम, इत्यादि में उल्लेख किया गया हैं।
वेतन और भत्ते आदि: वे नियोक्ता से कई दूसरे लाभ भी ले सकते हैं जैसे की सवेतन छुट्टी,अवकाश काल में भुक्तान, भविष्य निधि, सेवानुदान इत्यादि पाते हैं।
रोज़गार की सुरक्षा: संगठित क्षेत्रक के कर्मचारियों को रोज़गार-सुरक्षा के लाभ मिलते हैं। उनसे एक निश्चित समय तक ही काम करने की आशा की जाती है। यदि वे अधिक काम करते हैं तो नियोक्ता द्वारा उन्हें अतिरिक्त वेतन दिया जाता है।
असंगठित क्षेत्रक:
सरकार का नियंत्रण न होना: असंगठित क्षेत्रक छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों, है जो बड़े पैमाने पर सरकार के नियंत्रण से बाहर होती हैं, से निर्मित होता हैं।
अनुशासन का अभाव: इस क्षेत्रक के नियम और विनियम तो होते हैं परन्तु उनका अनुपालन नहीं होता है।
कम वेतन और सुविधाओं का अभाव: वे कम वेतन वाले रोजगार हैं और प्रायः नियमित नहीं हैं। यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने, सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं है।
रोज़गार की सुरक्षा का अभाव: रोजगार सुरक्षित नहीं है। कुछ मौसमों में जब काम कम होता है, श्रमिकों को बिना किसी कारण काम से हटाया जा सकता है। बहुत से लोग नियोक्ता की पसंद पर निर्भर होते हैं।
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किसी विशेष वर्ष में उत्पादित ............... के मूल्य के कुल योगफल को जी.डी.पी. कहते हैं।
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
असंगत की पहचान करें और बताइए क्यों?
(क) पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील
(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
(घ) एम.टी.एन.एल., भारतीय रेल, एयर इंडिया, सहारा एयरलाइंस, ऑल इंडिया रेडियो।
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