गोस्वामी तुलसीदास
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
सो अनुराग कहाँ अब भाई।
उठहु न सुनि मम बच बिकलाई।।
जौं जनतेउ बन बंधु बिछोहू।
पितु बचन मनतेऊँ नहिं ओहू।।
1. इस काव्याशं में किसकी काकुल अवस्था का चित्रण हुआ है?
2. अनुप्रास अलंकार छाँटकर बताइए।
3. भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
1. लक्ष्मण-मूर्च्छा के समय राम इतने व्याकुल हो गए कि वे इसके लिए स्वयं को दोषी मानने लगे। वे तो यहाँ तक सोचने लगे कि यदि मुझे मातृ-बिछोह का आभास तक होता तो मैं पिता का वचन तक नहीं मानता अर्थात् पितृ वचन की तुलना में उन्हें भाई का जीवन प्यारा है। राम की विलापावस्था अत्यंत कारुणिक है।
2. जौं जनतेऊँ, बन बंधु बिछोह में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
3. तुकांत शब्दों का प्रयोग है।
करुण रस का संचार हुआ है।
अवधी भाषा का प्रयोग है।
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इन लोगों की क्या दशा है? वे क्या कहते हैं?
पेट की प्याला को शांत करने के लिए लोग कैसे-कैसे काम करने को विवश हो आते हैं?
बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।
जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,
कहैं एक एकन सौं कहाँ जाइ, का करी?
बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,
साँकरे सबै पै, राम! रावरे कृपा करी।
दारिद-दसानन बयाई दुनी दीनबंधु!
दुरित-बहन देखि तुलसी हहा करी।।
प्रस्तुत कवित्त के आधार पर तत्कालीन आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
जीविका विहीन लोग किस सोच में पड़े रहते हैं?
तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है और क्यों?
इस समस्या पर कैसे काबू पाया जा सकता है।
(CBSE 2008 Outside)
रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।
काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,
काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।
तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,
जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।
माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,
लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।
इस कवित्त में कवि तुलसी लोगों से क्या कहते हैं?
तुलसीदास तत्कालीन समाज की परवाह क्यों नहीं करते थे?
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