गोस्वामी तुलसीदास
शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है?
मेघनाद की शक्ति लक्ष्मण की छाती में लगी थी। वे घायल होकर मूर्च्छित हो गए थे। इससे राम बहुत व्याकुल हो गए। उनके करुण विलाप को देखकर अन्य सभी वानर-भालू तथा सैनिक सभी में शोक की लहर दौड़ जाती है। चारों ओर शोकग्रस्त माहौल बन जाता है। इसमें सर्वत्र करुण रस क! संचार हो रहा था।
तभी हनुमान का अवतरण होता है। जाम्बवान (जामवंत) के परामर्श पर लंका के वैद्य सुषेण की बुलाने का निश्चय होता है। हनुमान सुषेण को घर सहित उठा लाते हैं। बाद में सुषेण ने जब पर्वत से एक विशेष औषधि लाने को कहा तब भी हनुमान जड़ी-बूटी वाला पूरा पर्वत ही उखाड़ ले आते हैं जिसमें कहीं मूल की संभावना न रह जाए। इस प्रकार हनुमान के कारनामे वीर रस का आविर्भाव करते हैं। हनुमान के आने तथा उनके कार्यो से करुण रस के बीच वीर रस आ गया और माहौल में कुछ परिवर्तन दिखाई देने लगा। संजीवनी बूटी पिलाए जाने पर लक्ष्मण जीवित हो गए तो समस्त वातावरण में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। शोकपूर्ण वातावरण हर्ष और वीरता में बदल गया।
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बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।
जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,
कहैं एक एकन सौं कहाँ जाइ, का करी?
बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,
साँकरे सबै पै, राम! रावरे कृपा करी।
दारिद-दसानन बयाई दुनी दीनबंधु!
दुरित-बहन देखि तुलसी हहा करी।।
प्रस्तुत कवित्त के आधार पर तत्कालीन आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
जीविका विहीन लोग किस सोच में पड़े रहते हैं?
तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है और क्यों?
इस समस्या पर कैसे काबू पाया जा सकता है।
(CBSE 2008 Outside)
रजपूतू कहौ, जोलहा कही कोऊ।
काहूकी बेटीसों बेटा न व्याहब,
काहूकी जाति बिगार न सोऊ।।
तुलसी सरनाम गुलामु है रामको,
जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।।
माँगि कै खैबो, मसीतको सोइबो,
लैबो को एकु न दैबे को दोऊ।।
इस कवित्त में कवि तुलसी लोगों से क्या कहते हैं?
तुलसीदास तत्कालीन समाज की परवाह क्यों नहीं करते थे?
तुलसीदास स्वयं को किसका गुलाम मानते हैं?
तुलसीदास अपना जीवन-निर्वाह, किस प्रकार करते हैं?
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