गजानन माधव मुक्तिबोध
पाताली अँधेरे में तथा गुहाओं और’ धुएँ के बादलों में कवि बिल्कुल लापता हो जाने में भी संतोष का अनुभव क्यों करता है?
क्योंकि कवि अपने ज्ञान के प्रकाश से अति सतर्कता से, कोमलता से तंग आ गया है और अब वह अज्ञानी, छूमुढ़ंवेदन-शून्य होकर जीना चाहता है। वह सोचता है कि वहाँ उसे प्रिय की अनुभूतियों के घेराव से छुटकारा मिल जाएगा। वहाँ वह एक गुमनाम जिंदगी जी सकेगा। वहाँ वह अपराध-बोध से भी मुक्ति पा लेगा।
उसके संतोष का दूसरा कारण यह भी है कि अँधेरी गुफाओं में भी प्रिया की संवेदनाएँ उसे सहारा प्रदान करेंगी।
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इस कविता पर किस बाद का प्रभाव झलकता है?
जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।
कवि अपने दिल की तुलना किससे करता है और क्यों?
ऊपर कौन है?
कवि किससे प्रभावित है?
भूलूँ मैं
प्ले मैं
तुम्हें भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवि अंधकार अमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पालूँ मैं
झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं
इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित
रहने का रमणीय यह उजेला अब
सहा नहीं जाता है।
नहीं सहा जाता है।
कवि अपने लिए किस प्रकार का दंड चाहता है?
कवि अपने जीवन में क्या चाहता है और क्यों?
कवि क्या चाहता है?
सहा नहीं जाता है, नहीं सहा जाता है।
- कवि से क्या नहीं सहा जाता है?
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