गजानन माधव मुक्तिबोध

Question

टिप्पणी कीजिए; गरबीली गरीबी, भीतर की सरिता, बहलाती सहलाती आत्मीयता, ममता के बादल।

Answer

गरबीली गरीबी: गरीबी में प्राय: मनुष्य हताश निराश और दुखी होकर अपना धैर्य खो बैठता है। तब उसका जीवन के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण हो जाता है। यहाँ कवि ने गरीबी को गरबीली बताकर उसे आत्म सम्मान का रूप दे दिया है।

- भीतर की सरिता: इस कथन का तात्पर्य यह है कि हृदय के भीतर प्रेम भाव की नदी (झरना) बहती है। यहाँ भावनाओं के प्रवाह को ही सरिता कहा है। कवि के हृदय में भावनाओं का अंत-प्रवाह बह रहा है। इसमें पवित्र जल है।

- बहलाती सहलाती आत्मीयता: इसका आशय यह है कि प्रेयसी का प्रेमपूर्ण व्यवहार उसे हर समय बहलाता-सहलाता रहता है। उसका व्यवहार अत्यंत आत्मीयतापूर्ण है। उसका निश्छल प्रेम कवि के दु:ख को कम करने का काम तो करता है पर वह उसे सहन नहीं कर पाता। अति बुरी होती है।

- ममता के बादल: प्रिया कवि के ऊपर ममता भरे बादल बरसाती है। यह उसे अंदर तक पिरा जाती है क्योंकि कवि की आत्मा कमजोर हो गई है। ममता उससे सहन नहीं होती।

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इन पर किसकी संवेदना का प्रभाव है?

इस कविता पर किस बाद का प्रभाव झलकता है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है

जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है

दिल में क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

कवि अपने दिल की तुलना किससे करता है और क्यों?

ऊपर कौन है?

कवि किससे प्रभावित है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

सचमुच मुझे दंड दो कि

भूलूँ मैं

प्ले मैं

तुम्हें भूल जाने की

दक्षिण ध्रुवि अंधकार अमावस्या

शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पालूँ मैं

झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं

इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित

रहने का रमणीय यह उजेला अब

सहा नहीं जाता है।

नहीं सहा जाता है।

कवि अपने लिए किस प्रकार का दंड चाहता है?

कवि अपने जीवन में क्या चाहता है और क्यों?

कवि क्या चाहता है?