कुँवर नारायण

Question

कुँवर नारायण के जीवन का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनका साहित्यिक परिचय दीजिए।

Answer

जीवन-परिचय: कुँवर नारायण आधुनिक हिंदी कविता के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनका जन्म 19 सितंबर, 1927 ई. में फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा घर पर ही हुई। लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. ए. किया। आरभ से ही उन्हें घूमने-फिरने का शौक था। उन्होंने चैकोस्लोवाकिया पोलैंड, रूस और चीन आदि देशों की यात्रा की और विभिन्न प्रकार के अनुभव प्राप्त किए।

कुँवर नारायण ने कविता लेखन का आरंभ अंग्रेजी से किया किंतु शीघ्र ही ये हिंदी की ओर उन्मुख हो गए और नियमित रूप से हिंदी में लिखने लगे। कुँवर नारायण लंबे ममय तक ‘युग चेतना’ रात्रिका से जुड़े रहे पर पत्रिका के बंद हो जाने पर वे अपने निजी व्यवसाय (मोटर उद्योग) में व्यस्त हो गए।

साहित्यिक परिचय: कुँवर नारायण को हिंदी संसार में पर्याप्त सम्मान मिला। उन्हें व्यास सम्मान, भारतीय भाषा परिषद् पुरस्कार तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

कुँवर नारायण के चार काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं-चक्रव्यूह, परिवेश हम तुम कोई दूसरा नहीं और डस बार। नचिकेता की कथा पर उन्होंने एक खंडकाव्य ‘आत्मजयी’ लिखा जो 1965 में प्रकाशित हुआ। उनकी कविता ‘तीसरा सप्तक’ में भी थीं। कहानियों में एक कहानी-संग्रह ‘आस-पास’ 1971 में छपा। ये एक कुशल अनुवादक भी रहे हैं। ‘कास्टेण्टीन कवाफी’ का अनुवाद। 986 में छपा। ‘कोई दूसरा नहीं’ इनका बहुपठित काव्य-संग्रह है। इसका प्रथम संस्करण 1993 में निकला। इसमें समय-समय पर उनकी 100 कविताएँ संकलित हैं। ‘आत्मजयी’ काव्य ने कुँवर नारायण को बहुत ख्याति दिलाई। ‘आज और आज से पहले’ इनका निबंध-सग्रह है।

कुँवर नारायण बहुभाषाविद् हैं। वे एक गंभीर अध्येता हैं। उनके ‘आत्मजयी’ खंड काव्य का अनुवाद इतालवी भाषा में हो चुका है। वे एक कुशल पत्रकार के रूप में ‘युग चेतना’ ‘नया प्रतीक’ तथा ‘छायानट’ से जुड़े रहे हैं। वे ‘भारतेंदु नाट्य अकादमी’ के अध्यक्ष भी रहे हैं। 1973 में प्रेमंचद पुरस्कार 1982 में तुलसी पुरस्कार तथा केरल का ‘कुमारन आरन अकादमी’ भी प्राप्त कर चुके हैं।

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Some More Questions From कुँवर नारायण Chapter

कवि की उड़ान और चिड़िया की उड़ान में क्या अंतर है?

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

कविता एक खिलना है फूलों के बहाने

कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!

बाहर भीतर

इस घर, उस घर

बिना मुरझाए महकने के माने

फूल क्या जाने?

कविता एक खेल है बच्चों के बहाने

बाहर भीतर

यह घर, वह घर

सब घर एक कर देने के माने

बच्चा ही जाने!

कविता का फूलों के बहाने खिलना कैसे है?

कविता और फूलों में क्या अंतर है?

कविता बच्चों के खेल के समान कैसे है?

इस काव्यांश में कविता की क्या-क्या विशेषताएँ उभर कर सामने आती हैं?

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

बात सीधी थी पर एक बार

भाषा के चक्कर में

 

जरा टेढ़ी फँस गई।

 

उसे पाने की कोशिश में

 

भाषा को उलटा पलटा

 

तोड़ा मरोड़ा

 

घुमाया फिराया

 

कि बात या तो बने

 

या फिर भाषा से बाहर आए-

 

लेकिन इससे भाषा के साथ साथ

 

बात और भी पेचीदा होती चली गई।

 

कवि ने अपनी बात के बारे में क्या कहा है?

कवि ने अपनी बात के लक्ष्य को पाने के लिए क्या-क्या किया?

कवि अपने लक्ष्य को क्यों नही पा सका?