आलोक धन्वा

Question

‘पतंग’ कविता में चित्रित भादों बीत जाने के बाद के प्राकृतिक परिवर्तनों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

Answer

भादों के महीने में तेज वर्षा होती है, बौछारें पड़ती हैं। बौछारों के जाते ही भादों का महीना समाप्त हो जाता है। इसके बाद क्वार (आश्विन) का महीना शुरू हो जाता है। इसके आते ही प्रकृति में अनेक प्रकार के परिवर्तन आ जाते हैं-

अब सवेरे का सूरज खरगोश की आँखों जैसा लाल-लाल दिखाई देने लगता है अर्थात् सूरज की लालिमा बढ़ जाती है।
शरद् ऋतु का आगमन हो जाता है। गर्मी से छुटकारा मिल जाता है। ऐसा लगता है कि शरद अपनी साइकिल को तेज गति से चलाता हुआ आ रहा है।
सवेरा चमकीला होने लगता है।
फूलों पर तितलियाँ मँडराती दिखाई देती हैं। बच्चे भी तितलियों के समान प्रतीत होते हैं।

Sponsor Area

Some More Questions From आलोक धन्वा Chapter

बच्चों की दुनिया के बारे में क्या बताया गया है?

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास

पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास

जब वे दौड़ते हैं बेसुध

छतों को भी नरम बनाते हुए

दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए

जब वे पेंग भरते हुए चले आते हैं

डाल की तरह लचीले वेग से अकसर

छतों के खतरनाक किनारों तक-

उस समय गिरने से बचाता है उन्हें

सिर्फ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत

पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं महज एक धागे के सहारे

पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं

अपने रंध्रों के सहारे

अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से

और बच जाते हैं तब तो

और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं

पृथ्वी और भी तेज घूमती हुई आती है

उनके बेचैन पैरों के पास।

बच्चों के जन्म के समय की तुलना किससे की गई है और क्यों?

कवि ने बच्चों के दौड़ने का वर्णन किस प्रकार किया है?

बच्चे पतंग उड़ाते हुए किस खतरनाक स्थिति तक पहुँच जाते हैं? तब उन्हें कौन बचाता है?

कवि के पतंग के साथ बच्चों के बारे में क्या संबंध स्थापित किया है?

‘सबसे तेज बौछारें गयी, भादों गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों मे करें।

सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन बीज, सबसे पतला कागज, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?

बिंब स्पष्ट करें-

सबसे तेज बौछारें गईं भादों गया

सवेरा हुआ

खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा

शरद आया पुलों को पार करते हुए

अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए

घंटी बजाते हुए जोर-जोर से

चमकीले इशारों से बुलाते हुए और

आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए

कि पतंग ऊपर उठ सके।

जन्म से ही वे अपने साथ लाने हैं कपास-कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है?