जॉर्ज पंचम की नाक
'नयी दिल्ली में सब था... सिर्फ़ नाक नहीं थी।' इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
इस कथन के माध्यम से लेखक ब्रिटिश सरकार का भारत में सम्मान को प्रदर्शित करता है। उसने इस कथन में ब्रिटिश सरकार पर व्यंग्य कसा है। एलिजाबेथ एवम् प्रिंस फ़िलिप के आने पर चालीस करोड़ भारतीयों में से किसी की ज़िन्दा नाक काटकर ज़ार्ज पंचम की लाट में लगा देने की अपमान जनक बात सोचना और करना। यदि सच में दिल्ली के पास नाक होती तो इतना बखेड़ा खड़ा न करके सीधे ज़ार्ज पंचम के लाट को ही हटवा दिया होता। इसका एक अर्थ यह होता है कि भारत में अपना शासन खो चुके अंग्रेजों के प्रति लोगों के मन में अब कोई मान-सम्मान नहीं बचा था, और साथ ही इस से हमारे प्रशासन की कमज़ोर एवं त्रुटिपूर्ण व्यवस्था का भी पता चलता है।
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अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?
'नयी दिल्ली में सब था... सिर्फ़ नाक नहीं थी।' इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?
‘जार्ज पंचम की नाक’ पाठके माध्यम से लेखक ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है?
अथवा
सिक्किम की युवती के कथन ‘मैं इंडियन हूँ’ से स्पष्ट होता है कि अपनी जाति, धर्म-क्षेत्र और संप्रदाय से। अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्र है। आप किस प्रकार राष्ट्र के उत्तरप्रति अपने कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं? समझाइए।
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