तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेन्द्र की पहली और आखिरी फ़िल्म 'तीसरी कसम' थी। उनकी फ़िल्म यश और धन की इच्छा से नही बनाई गई थी। शैलेन्द्र ने साहित्यिक रचना को बेहद ईमानदारी के साथ पर्दे पर उतारा। शैलेन्द्र ने न केवल कहानी को पर्दे पर उकेरा बल्कि हीरामन और हीराबाई की भावनाओं को शब्द भी दिए। उनकी संवेदनशीलता पुरे फिल्मे में नज़र आती है। शैलेन्द्र फ़िल्म निर्माण के खतरों से परिचित होकर भी एक शुद्ध साहित्यिक फ़िल्म का निर्माण कर अपने साहसी होने का परिचय दिया है। सिद्धांतवादी होने के कारण उन्होंने अपनी फ़िल्म में कोई भी परिवर्तन स्वीकार नहीं किया।
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फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफ़ाई क्यों कर दिया जाता है?
'शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं' - इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
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