यशपाल-लखनवी अन्दाज़
लेखक की यह पुरानी आदत थी कि वह जब अकेला होता अथवा खाली होता तो अनेक प्रकार की कल्पनाएं करने लग जाता था क्योंकि वह एक लेखक है इसलिए कल्पना के आधार पर अपनी रचनाएँ करता है। खाली समय में इन्हीं कल्पनाओं में डूबा रहता है कि अब क्या लिखना है।
Sponsor Area
Sponsor Area
Sponsor Area