रामवृक्ष बेनीपुरी- बालगोबिन भगत
इस प्रकार भक्ति-रस में लीन होकर वह क्षण आ जाता था जब भावविभोर होकर बालगोबिन भगत खंजड़ी बजाते हुए नाचने लगते थे तथा उनकी प्रेमी-मंडली के सदस्य उनके चारों ओर घेरा बना कर नाचने लगते थे। ऐसे समय में सारा वातावरण ही संगीत की ताल पर नाचता हुआ लगता था।
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