रामवृक्ष बेनीपुरी- बालगोबिन भगत
इस कथन का आशय यह है कि बालगोबिन भगत के गाए हुए पदों को दोहराते समय लोग इतने मग्न हो जाते थे कि वे अपने तन की सुध भूल कर मन से भक्ति रस में डूब जाते थे। उन्हें दीन-दुनिया की सुध ही नहीं रहती थी। वे मनोलोक में विचरण करने लगते थे।
Sponsor Area
Sponsor Area
Sponsor Area