स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
हमें अपने क्षेत्र के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों के काम को समय-समय पर प्रोत्साहन देना चाहिए। उन्हें अपनी कला दिखाने के लिए नए-नए अवसर दे सकते हैं। किसी त्योहार या राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर इन लोगों को अपनी कला दिखाने के लिए समागम करने चाहिए। इनकी कला के अनुरूप इन्हें प्रोत्साहन राशि देनी चाहिए जिससे इनकी आर्थिक स्थिति सुधरे और यह अपनी कला में निखार लाए। इन लोगों की कला को क्षेत्र के बड़े-बड़े लोग स्पोंसर करके इन्हें आगे बढ़ने का अवसर दे सकते हैं।
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“वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया लिखिए।
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