रामवृक्ष बेनीपुरी- बालगोबिन भगत
बालगोबिन भगत हर वर्ष गंगा स्नान पर जाते थे। गंगा-स्नान के बहाने उन्हें संतों के दर्शन हो जाते थे। गंगा उनके गाँव से तीस कोस दूर थी। वहाँ जाने में चार-पाँच दिन लग जाते थे। वे गंगा स्नान जाते समय अपने घर से ही खा कर चलते थे और वापस अपने घर पर ही आकर खाते थे। उनके अनुसार यदि वे साधु हैं तो साधु को कहीं आते-जाते समय खाने की क्या आवश्यकता है और यदि वे गृहस्थी हैं तो गृहस्थी को भिक्षा मांगकर खाना अच्छा नहीं है। इसलिए वे दोनों कारणों से मार्ग में खाना नहीं लेते थे। मार्ग में प्यास लगने पर पानी अवश्य पीते थे।
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