रामवृक्ष बेनीपुरी- बालगोबिन भगत
बालगोबिन भगत मँझोलेकद के गोरे-चिट्टे व्यक्ति थे जिनकी आयु साठ वर्ष से अधिक थी। उनके बाल सफेद थे। वे दाढ़ी तो नहीं रखते थे पर उनके चेहरे पर सफेद बाल जगमगाते ही रहते थे। वे कपड़े बिलकुल कम पहनते थे। कमर में एक लंगोटी और सिर पर कबीर पंथियों जैसी कनफटी टोपी पहनते थे। जब सरदियां आतीं तो एक काली कमली ऊपर से ओढ़ लेते थे। माथे पर सदा चमकता रामानंदी चंदन, जो नाक के एक छोर से ही, औरतों के टीके की तरह शुरू होता था। अपने गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बाँधे रहते थे। उनमें साधुओं वाली सारी बातें थीं। वे कबीर को ‘साहब’ मानते थे, उन्हीं के गीत गाते रहते थे और उन्हीं के आदेशों पर चलते थे। कभी झूठ नहीं बोलते थे और सदा खरा न्यवहार करते थे। हर बात साफ-साफ करते थे और किसी से व्यर्थ झगड़ा नहीं करते थे। किसी की चीज को तो कभी छूते नहीं थे। वह दूसरों के खेत में शौच तक के लिए नहीं बैठते थे। उनके खेत में जो कुछ पैदा होता उसे सिर पर रख कर चार कोस दूर कबीर पंथी मठ में ले जाते थे और प्रमाद रूप में कुछ वापिस ले आते थे।
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