निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये हमारैं हरि हारिल की लकरी। मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी। जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री। सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी। सु तौ व्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करो। यह तो ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपो, जिन के मन चकरी।।
उपर्युक्त पद का भाव स्पष्ट कीजिए।
Answer
Short Answer
गोपियों के हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति गहरा प्रेम-भाव था। उनका हृदय दृढ़ और स्थिर था। श्रीकृष्ण के प्रति चित्त-वृत्ति होने के कारण उन्हें योग का संदेश व्यर्थ लगता था।