सूरदास - पद
अनुप्रास -• तन मन
• मन की मन ही माँझ
• चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं
• सँदेसीन मुनि-मुनि बिरधिनि बिरह दही
• धीर धरहिं।
रूपकातिशयोक्ति-उत तैं धार बही।
पुनरुक्ति प्रकाश-सुनि--सुनि।
Sponsor Area
उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?
Sponsor Area
Sponsor Area