विश्वेश्वरैया
(क) ज्ञान असीमित है।
(ख) आकाश में अँधेरा छाया हुआ था।
(ग) गड्ढे और नालियाँ पानी से भर गईं।
(घ) उसने एक जल-प्रपात का रुप धारण कर लिया।
(ङ) राष्ट्रीयता की चिंगारी जल उठी थी।
(च) मैं काफी धन कमा लूँगा।
(क) क्या ज्ञान असीमित होता है?
(ख) क्या आकाश में अँधेरा छाया हुआ है?
(ग) क्या गड्ढे और नालियाँ पानी से भर गईं हैं?
(घ) क्या उसने एक जल-प्रपात का रुप धारण कर लिया है।
(ङ) क्या राष्ट्रीयता की चिंगारी जल उठी थी।
(च) क्या मैं काफी धन कमा लूँगा।
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विश्वेश्वरैया अपने मन में उठे सवालों का जवाब अपने अध्यापकों और बड़ों से जानने की कोशिश करते थे। क्या तुम अध्यापकों से पाठ्य पुस्तकों के सवालों के अतिरिक्त भी कुछ सवाल पूछते हो? कुछ सवालों को लिखो जो तुमने अपने अध्यापकों से पूछे हों।
(क) तुम्हें सर्दी-गरमी के मौसम में अपने घर के आसपास क्या-क्या दिखाई देता है?
(ख) तुमने पाठ में पढ़ा कि एक बूढ़ी महिला ताड़पत्र से बनी छतरी लिए खड़ी थी। पता करो कि ताड़पत्र से और क्या-क्या बनाया जाता है?
(ग) विश्वेश्वरैया ने बचपन में रामायण, महाभारत, पंचतंत्र आदि की कहानियाँ सुनी थीं। तुमने पाठ्यपुस्तक के अलावा कौन-कौन सी कहानियाँ सुनी हैं? किसी कहानी के बारे में बताओ।
(घ) तुम्हारे मन में भी अनेक सवाल उठे होंगे जिनके जवाब तुम्हें नहीं मिले। ऐसे ही कुछ सवालों की सूची बनाओ।
(ङ) तुम्हारे विचार से गरीबी के क्या कारण हैं?
नीचे पाठ में से चुनकर कुछ शब्द दिए गए हैं। तुम इनका प्रयोग अपने ढ़ग के वाक्य बनाने में करो।
(क) हरे-भरे
(ख) उमड़-घुमड़
(ग) एक-दूसरे
(घ) धीरे-धीरे
(ङ) टप-टप
(च) फटी-पुरानी
(क) ज्ञान असीमित है।
(ख) आकाश में अँधेरा छाया हुआ था।
(ग) गड्ढे और नालियाँ पानी से भर गईं।
(घ) उसने एक जल-प्रपात का रुप धारण कर लिया।
(ङ) राष्ट्रीयता की चिंगारी जल उठी थी।
(च) मैं काफी धन कमा लूँगा।
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