विप्लव – गायन
नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
‘सावधान! मेरी वीणा में……दोनों मेरी ऐंठी हैं।’
इस पंक्ति में कवि सभी कवियों को सम्बोधित करते हुए ऐसे गीत को सुनाने के लिए कहते हैं जिससे इस संसार के प्रत्येक मनुष्य के हृदय में हाहाकार मच जाए अर्थात् चारों तरफ़ क्रांति की लहर उत्पन्न हो जाए, समस्त प्राणी उस हिलोर में सराबोर हो जाए। आगे कवि, उन व्यक्तियों को सम्बोधित करते हैं जो अपने दमन चक्र से हाहाकार मचाए हुए है। वो सब सावधान हो जाएँ क्योंकि अब मैंने समस्त संसार को झकझोर देने वाले गीत को आरम्भ कर दिया है। अब तो मेरी वीणा का स्वर भी मधुरता की अपेक्षा क्रांति की आग ही उगलेगा। भाव यह है कि अभी तक मैं केवल मधुरता लिए हुए गीतों की रंचना करता था व गाता था। अब मेरे गीत केवल राष्ट्रहित के लिए ही होगें। वो रसिको के मन को बहलाने के लिए नहीं अपितु जनता को गुलामी के बन्धन से जागृत करने के लिए होंगे। वह कहता है आज चाहे मिज़राब टूटे या मेरी अंगुलियाँ ऐंठ जाए पर मैं शान्त नहीं होऊँगा ना ही किसी को होने दूँगा अर्थात् इस गीत को गाते हुए मैं अपनी किसी परेशानी की तरफ़ तनिक ध्यान नहीं दूँगा फिर चाहे कष्ट किसी भी रूप में सामने आए।
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