दादी माँ
नीचे दी गई पंक्तियों पर ध्यान दीजिए-
ज़रा-सी कठिनाई पड़ते अनमना-सा हो जाता हैसन-से सफ़ेद |
समानता का बोध कराने वाले शब्द-
(i) |
नीला–सा – |
आसमान नीला–सा हो गया है। |
(ii) |
सुन्दर–सा – |
इस बच्चें का चेहरा कितना सुन्दर–सा है |
(iii) |
गोल–सा – |
आज चंद्रमा बिल्कुल गोल–सा है। |
(iv) |
लम्बा–सा – |
यह लंबा–सा आदमी इधर ही आ रहा है। |
(v) |
छोटी–सी – |
वहाँ छोटी−सी लड़की खेल रही थी। |
(vi) |
सरिस – |
पीपर पात सरिस मन डोला। |
(vii) |
ज्यों – |
बोली ऐसी उसकी ज्यों कोयल की कूंक। |
(viii) |
जैसा – |
यह कपड़ा दूध जैसा सफ़ेद है। |
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आपने इस कहानी में महीनों के नाम पढ़े, जैसे-क्वार, आषाढ़, माघ। इन महीनों में मौसम कैसा रहता है, लिखिए।
नीचे दी गई पंक्तियों पर ध्यान दीजिए-
ज़रा-सी कठिनाई पड़ते अनमना-सा हो जाता हैसन-से सफ़ेद |
कहानी में ‘छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं, पूछ-पूछकर घरवालों को परेशान कर देतीं’-जैसे वाक्य आए हैं। किसी क्रिया को ज़ोर देकर कहने के लिए एक से अधिक बार एक ही शब्द का प्रयोग होता है। जैसे वहाँ जा-जाकर थक गया, उन्हें ढूँढ़-ढूँढ़कर देख लिया। इस प्रकार के पाँच वाक्य बनाइए।
बोलचाल में प्रयोग होने वाले शब्द और वाक्यांश ‘दादी माँ’ कहानी में हैं। इन शब्दों और वाक्यांशो से पता चलता है कि यह कहानी किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित है। ऐसे शब्दों और वाक्यांशो में क्षेत्रीय बोलचाल की खूबियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए-निकसार, बरह्मा, उरिन, चिउड़ा, छौंका इत्यादि शब्दों को देखा जा सकता है। इन शब्दों का उच्चारण अन्य क्षेत्रीय बोलयों में अलग ढंग से होता है, जैसे-चिउड़ा को चिड़वा, चूड़त्र, पोहा और इसी तरह छौंका को छौंक, तड़का भी कहा जाता है। निकसार, उरिन और बरह्मा शब्द क्रमश: निकास, उऋण और ब्रह्मा शब्द का क्षेत्रीय रूप हैं। इस प्रकार के दस शब्दों को बोलचाल में उपयोग होनेवाली भाषा/बोली से एकत्र कीजिए और कक्षा में लिखकर दिखाइए।
‘अपने-अपने मौसम की अपनी-अपनी बातें होती हैं’-लेखक के इस कथन के अनुसार यह बताइए कि किस मौसम में कौन-कौन सी चीज़ें विशेष रूप से मिलती हैं?
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