खानपान की बदलती तसवीर
खानपान में बदलाव के कौन से फ़ायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?
खानपान में बदलाव से –
(i) हमारी रूचि बनी रहती है। हमें अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों को खाने का मज़ा मिलता है।
(ii) इससे भारत की एकता बनी रहती है।
(iii) समय की बचत होती है।
(iv) इसमे परिश्रम भी कम लगता है।
खानपान के इस बदलाव से स्थानीय व्यंजनों का अस्तित्व खतरें में है, उनकी लोकप्रियता कम हो रही है तथा यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक नहीं है। लेखक की चिंता का यही मूल कारण है।
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खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है ?
यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए –
उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला |
भोजन |
कैसे पकाया |
स्वाद |
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पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तसवीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा-
सन् साठ का दशक |
– |
छोले-भटूरे |
सन् सत्तर का दशक |
– |
इडली, डोसा |
सन् अस्सी का दशक |
– |
तिब्बती (चीनी) भोजन |
सन् नब्बे का दशक |
– |
पीज़ा, पाव-भाजी |
खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए –
सीना-पिरोना भला-बुरा चलना-फिरना लंबा-चौड़ा कहा-सुनी घास-फूस |
कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए।
कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है-
इडली–दक्षिण–केरल–ओणम्–त्योहार–छुट्ठी–आराम…
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