दो बैलों की कथा
'लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।' - हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिये।
हीरा के इस कथन से यह ज्ञात होता है कि उस समय समाज में स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं थी।
उनके के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। उन्हें शारीरिक यातनाएँ दी जाती थीं। वे पुरुषों द्वारा शोषित थी। इसलिए समाज में ये नियम बनाए जाते थे कि उन्हें पुरुष समाज शारीरिक दंड न दे। हीरा और मोती भले इंसानों के प्रतीक हैं। इसलिए उनके कथन सभ्य समाज पर लागू होते हैं। असभ्य समाज में स्त्रियों की प्रताड़ना होती रहती थी। लेखक नारियों के सम्मान के पक्षधर थे।
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किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी?
'लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।' - हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिये।
किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?
'इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे ' - मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
आशय स्पष्ट कीजिए-
अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
आशय स्पष्ट कीजिए-
उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के ह्रदय को मानो भोजन मिल गया।
गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि -
क. गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
ख. गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
ग. वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
घ. उसे खली आदि सामग्री की जानकारी नहीं थी।
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
क्या आपको लगता है कि यह कहानी आज़ादी की कहानी की ओर भी संकेत करती है?
बस इतना ही काफ़ी है।
फिर मैं भी ज़ोर लगाता हूँ।
'ही','भी' वाक्य में किसी बात पर ज़ोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में पाँच ऐसे वाक्य छाँटिए जिनमें निपात का प्रयोग हुआ हो।
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