किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया
लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिये।
मित्रों के सहयोग, इलाहाबाद का संस्कार तथा हिन्दी कविता का वातावरण और प्रोत्साहन पाकर लेखक हिन्दी में रचनाएँ करने लगे। सन् 1933 में लेखक की कुछ रचनाएँ जैसे 'सरस्वती' और 'चाँद' छपी। बच्चन द्वारा 'प्रकार' की रचना लेखक से करवाई गई। बच्चन द्वारा रचित 'निशा-निमंत्रण' से प्रेरित होकर लेखक ने 'निशा-निमंत्रण के कवि के प्रति' कविता लिखी थी। निराला जी का ध्यान सरस्वती में छपी कविता पर गया। फिर उन्होंने कुछ हिंदी निबंध भी लिखे व बाद में 'हंस' कार्यालय की 'कहानी' में चले गए। तद्पश्चात् उन्होंने कविताओं का संग्रह व अन्य रचनाएँ भी लिखी।
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