हामिद खाँ - एस. के पोट्टेकाट
लेखक ने हिन्दू मुसलमानों के मेल-मिलाप की बातें हामिद खाँ को बताई। उन्हें लेखक की बातों पर भरोसा नहीं हुआ। पाकिस्तान में हिंदू-मुसलिम संबंधो में अंतर था। उनमें बहुत दूरियाँ थीं परन्तु हिन्दुस्तान में आपसी संबंध बहुत अच्छे थे। पाकिस्तान में वे एक-दूसरे के त्योहारों में सम्मिलित नहीं होते। न कोई हिंदू मुसलिम होटल में खाना खाता है और न ही कोई मुसलिम हिंदू दुकान पर जाता था। मुसलमानों को, अत्याचारियों की संतान माना जाता था। इस दुनिया में उन्हे शैतानों की तरह लुक-छिप कर चलना पड़ता था। लेखक ने जब हिन्दू मुसलमान एकता की भारत की बात की तो हामिद खाँ हैरान रह गए। पहले तो उन्हें लेखक के हिन्दू होने पर विश्वास नहीं हुआ। फिर वे लेखक को अजनबी निगाहों से देखते रहें।
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