गिल्लू - महादेवी वर्मा
कौआ एक विचित्र प्राणी है। कभी इसका आदर किया जाता है तो कभी अनादर। श्राधों में लोग कौए को आदर से बुलाते हैं। पाठ के आधार पर कौए को समादरित इसलिए कहा गया है क्योंकि माना जाता है कि जो लोग मर जाते हैं, वे कौए के रूप में अपने प्रियजनों से मिलने आते है। उन्हें खाना खिलाकर ये माना जाता है कि अपने प्रियजनों को खाना खिला दिया। इसके माध्यम से ही दूर बसे प्रियजनों के आने का संदेश मिलता है। इसका अनादर इसलिए किया जाता है, क्योंकि कौआ काँव-काँव करके हमारा सिर खा जाता है इसकी कर्कश वाणी किसी को नही भाती तभी यह अनादरित होता है।
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