गिल्लू - महादेवी वर्मा
सोनजूही की पीली कली मनमोहक होती है। लेखिका के मन मे विचार आया कि वह छोटा जीव इसी कली की सघन छाया मे छिपकर बैठ जाता था। उसका नाम गगिल्लूथा। वह लेखिका के निकट पहुँचते ही कंधे पर कूद जाता था। और उन्हें चौका देता था उस समय लेखिका को केवल कली की खोज रहती थी पर अब वे उस लघुगात, प्राणी को ढूँढ रही थी। इस कली को पुन: खिले हुए देखकर लेखिका अपने उसी पारिवारिक सदस्य की खोज में डूब जाती हैं। जिसका नामकरण संस्कार भी उन्होंने स्वयं ही किया था।
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