सवैये
भाव स्पष्ट कीजिए-
कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
कवि के भाव के अनुसार जो आत्मिक सुख ब्रज की प्राकृतिक छटा में है, उसके सौंदर्य को निहारने में है वैसा सुख संसार की किसी भी सांसारिक वस्तु को निहारने में नहीं है। इसलिए वह ब्रज की काँटेदार झाड़ियों व कुंजन पर सोने के महलों का सुख न्योछावर कर देना चाहते हैं।
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काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिये -
या मुरली मुरलीधर की अधरन धरी अधरा न धरौंगी।
प्रस्तुत सवैयों में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है, उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।
रसखान के इन सवैयों का शिक्षक की सहायता से कक्षा में आदर्श वाचन कीजिए। साथ ही किन्हीं दो सवैयों को कंठस्थ कीजिए।
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