शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद
आशय-प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि जब महादेव भाई और उनके जिगरी दोस्त नरहरि भाई ने एक साथ वकालत की पढ़ाई की थी तब दोनों ने पढ़ाई खतम होते ही अहमदाबाद में वकालत शुरू की। लेखक का यह मत है कि वकालत के पेशे में स्याह को सफ़ेद अर्थात् काले कारनामों को भी उत्तम करार दे दिया जाता है तथा जो सही है उसे भी दलीलों के माध्यम से गलत सिद्ध कर दिया जाता है इस व्यवसाय में कई बार वकील अपना दिमाग लगाकर सबूतों और दलीलों के बल पर गलत को सही और सही को गलत सिद्ध कर देते हैं किन्तु महादेव भाई ने हमेशा उचित और सही कार्य किए।
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