शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद

Question

(ग) निम्मलिखित का आश्य स्पष्ट कीजिए-
‘अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-मिश्ती-खर’ के रूप में देने में के गौरवान्वित महसूस करते थे।'

Answer

आशय-प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक गाँधी जी के निजी सचिव की निष्ठा, समर्पण और उनकी प्रतिभा का वर्णन करते हुए कहते है कि वे स्वयं को गाँधी जी का निजी सचिव ही नहीं बल्कि एक ऐसा सहयोगी मित्र मानते थे जो सदा उनके साथ रहे। वे गाँधी जी के प्रत्येक गतिविधि उनका भोजन उनके दैनिक कार्यों में हमेंशा उनका साथ देते थे। इसलिए स्वयं को उनका पीर अर्थात् सलाहकार, उनका रसोइया, मशक से पानी ढोने वाला व्यक्ति तथा श्वर के रूप में मानते थे और लोगों को अपना परिचय भी यही कहकर देते थे।

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Some More Questions From शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद Chapter

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
 गांधीजी ने ‘यंग इडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
महादेव भाई ने गांधीजी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक पत्र निकलते थे?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
महादेव भाई से गांधीजी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?

(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25- 30) शब्दों में लिखिए-
गांधीजी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?

(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25- 30) शब्दों में लिखिए-
गांधीजी से मिलने आनेवाले के लिए महादेव भाई क्या करते थे?

(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25- 30) शब्दों में लिखिए-
महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?