शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद
महादेव पूर्व रूप से शुद्ध व सुन्दर लेख लिखते थे। पूरे भारतवर्ष में उनका कोई सानी नहीं था। वाइसराय के नाम से जाने वाले गाँधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखाई में ही जाते थे। उन पत्रों सी लिखावट देखकर वाइसराय भी लंबी साँस लेते थे। वे तेज गति से लंबी लिखाई कर सकते थे। उनकी लिखावट में कोई भी गलती नहीं होती थी। लोग टाइप करके लाई रचनाओं को महादेव की रचनाओं से मिलाकर देखते थे। उनके लिखे लेख, टिप्पणियाँ, पत्र और गाँधी जी के व्याख्यान सबके सब ज्यों के त्यों प्रकाशित होते थे। बड़े-बड़े सिविलियन और गर्वनर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सेवाओं में महादेव के समान अक्षर लिखने वाला कहीं खोजने पर भी नहीं मिलता था। पढ़ने वालों को मंत्र-मुग्ध करने वाला शुद्ध और सुंदर लेख।
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