शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद
महादेव भाई से गांधीजी की निकटता भर्तृहरि के भजन की इस पंक्ति से सिद्ध होती है- ‘ए रे जख्म जोगे नहिं जरो’ यह घाव कभी योग से भरेगा नहीं। बाद के सालों में भी अपने नए कार्यकर्ता प्यारेलाल जी को कुछ कहना होता तो उस समय भी गांधीजी के मुँह से अचानक ही महादेव का नाम ही निकलता था। गांधीजी उन्हें भुला नहीं पाये थे।
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