लेखक के अनुसार साधारण आदमी जल्दी दूसरों की बातों में आ जाता है। वह स्वयं सोच-विचार नहीं करता। वह दूसरों के कहे अनुसार काम करता है। इसलिए लेखक ने साधरण आदमी को मूर्ख कहा है।
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