शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद
(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) ‘सोने की कीमत वाले गाद’ से लेखक का अर्थ उपजाऊ जमीन से है। गंगा-जमुना का मैदान इतना उपजाऊ है कि यहाँ भरपूर फसल पैदा होती है। इसी को लेखक ने ‘सोने की कीमत वाले गाद’ कहा है।
(ग) लेखक के अनुसार जिस प्रकार इन मैदानों में बिना किसी कठिनाई के खेती की जा सकती है उसी प्रकार महादेव जी के सम्पर्क में आने वालों को उनकी किसी बात से ठेस नहीं लगती थी। क्योंकि महादेव का जीवन अत्यंत सरल था।
(घ) महादेव भाई से मिलने वाले उन्हें इसलिए याद करते थे क्योंकि वे उन्हें बड़े प्रेम से मिलते थे। लोगों को इस बात का अहसास ही नहीं होता था कि वे किसी दूसरे व्यक्ति से मिल रहे हैं। इसी अपनेपन के कारण लोग उन्हें याद रखते थे।
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