शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद
(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) इसका अर्थ है पैनी नजरों से जाँच-पड़ताल करना। सावधानी से किसी बात में गलती खोजना।
(ग) अन्य समाचार-पत्र गांधीजी की लोकप्रियता से डरते थे। वे हमेशा गांधीजी के बारे में उल्टा-सीधा लिखते रहते थे। ये समाचार-पत्र गांधीजी की गतिविधियों पर तीखी नजर रखते थे।
(घ) गांधीजी के मार्गदर्शन और शत्रु के साथ भी विनम्रता से विवाद करने की शिक्षा ने समाचार-पत्रों की दुनिया में महादेव भाई को सबका लाडला बना दिया।
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