शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद
(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) महादेव जी, गांधीजी के साथ भारत के स्वतंत्रता-आन्दोलन से जुड़े हुए थे। भारत की स्वतंत्रता रूपी सुबह होने ही वाली थी। अचानक महादेव जी का देहांत हो गया। इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है।
(ग) जिस प्रकार शुक्रतारा थोड़े से समय में ही आकाश में अपनी चमक बिखेरकर अस्त हो जाता है उसी प्रकार महादेव भी अपने थोड़े से जीवन में ही अपनी कार्यशैली से दुनिया को प्रभावित कर गए। इसी कारण महादेव की शुक्रतारे से तुलना की गई है।
(घ) महादेव जी अपने मित्रों के बीच विनोद करते हुए अपने आपको गांधीजी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरव का अनुभव किया करते थे।
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