कीचड़ का काव्य - काका कालेलकर
लेखक ने कवियों की धारणा को युक्तिशून्य ठीक ही कहा है। वे बाहरी सुंदरता पर ध्यान देते है किंतु आंतरिक सुंदरता और उपयोगिता को बिलकुल नहीं देखते। यह कविजन कीचड़ में उगने वाले कमल को तो बहुत सम्मान देते हैं परन्तु कीचड़ का तिरस्कार करते हैं। वे केवल सौंदर्य को महत्त्व देते हैं उन्हें उत्पन्न करने वाले कारणों का सम्मान नहीं करते।
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