कीचड़ का काव्य - काका कालेलकर
पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की यह विशेषता है कि वहाँ बहुत अधिक कीचड़ होता है। ऐसा दृश्य गंगा नदी के किनारे या सिंधु नदी के किनारे तो मिलता ही है। इससे बढ्कर खंभात में मही नदी के सामने जो विशाल और अति गहरा कीचड़ फैला हुआ है। उसमें पूरा का पूरा पहाड़ लुप्त हो सकता है। वहाँ सब ओर कीचड़ ही कीचड़ देखने को मिलता है। यह कीचड़ जमीन के नीचे बहुत गहराई तक हैं।
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