कीचड़ का काव्य - काका कालेलकर
नदी के किनारे मीलों तक फैला हुआ समतल और चिकना कीचड़ बहुत सुंदर प्रतीत होता है। इस सूखे कीचड़ पर बगुलों तथा अन्य पक्षियों के पद्चिह्न बहुत सुंदर लगते हैं। इस सूखे कीचड़ पर गाय, बैल, पाड़े, भेड़े, तथा बकरियों के पद्चिह्न भी सुंदर लगते हैं। पाड़े के सींगों के चिह्न भी सुंदर प्रतीत होते हैं।
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