कीचड़ का काव्य - काका कालेलकर
नदी के किनारे कीचड़ तब सुंदर दिखाई देता है जब वह सूखकर टुकड़े हो जाती है। जब गर्मी से उन्हीं टुकड़ों में दरारें पड़ जाती है और वे टेढ़े हो जाते हैं। नदी के किनारे जब समतल और चिकना कीचड़ एक साथ फैला होता है तब वह सुंदर दिखता है।
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