एवेरेस्ट : मेरी शिखर की यात्रा - बचेंद्री पाल
आशय-लेखिका एवरेस्ट शंकु की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम महिला थी। वह अपने साहस और हिम्मत से अपनी निर्धारित मंजिल तक पहुँच गई थी। वहाँ दो व्यक्तियों का इकट्ठे खड़े होना असंभव था। बर्फ़ के फावड़े से खुदाई करके उन्होंने अपने आपको सुरक्षित कर लिया। घुटनों के बल बैठकर सागरमाथा के ताज को चूम लिया। पूजा-अर्चना करते हुए लाल कपड़े में दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा लपेटी। बर्फ़ में उसे दबाया व माता-पिता का स्मरण करने लगी। यह लेखिका के लिए अत्यन्त गौरव का क्षण था। उन्हें आज भी एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला के रूप में पहचाना जाता है।
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