दुःख का अधिकार - यशपाल
आशय-इस पंक्ति का आशय यह है कि आज के इस समाज में दुःख मनाने का अधिकार भी केवल धनी वर्ग को होता है। यह सत्य है कि दुःख सभी को तोड़कर रख देता है। दुख में मातम सभी मनाना चाहते है चाहे वह अमीर हो या गरीब। दुःख का सामना होने पर सभी विवश हो जाते है। गरीब व्यक्ति के पास न तो दुख मनाने की सुविधा है न समय है वह तो रोजी-रोटी के चक्कर में ही उलझा रहता है। सम्पन्न वर्ग शोक का दिखावा अवश्य करता है। परन्तु वे अभागे लोग जिन्हें न दुख मनाने का अधिकार है और न अवकाश। जो परिस्थतियों के सामने घुटने टेक देते है, उन्हें पेट की ज्वाला को शांत करने के लिए दुखी होते भी काम करना पड़ता है। इस प्रकार निचली श्रेणी के लोगों को रोटी की चिन्ता दुःख मनाने के अधिकार से वंचित कर देती है।
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