दुःख का अधिकार - यशपाल
लड़के की मृत्यु के दूसरे दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने इसलिए चली गई क्योकि उसके पास जो कुछ था भगवाना की मृत्यु के बाद दान-दक्षिणा में खतम हो चुका था। बच्चे भूख के मारे बिलबिला रहे थे। बहू बीमार थी। मजबूरी के कारण बुढ़िया को खरबूज़े बेचने के लिए लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन जाना पड़ा था। भूख अच्छे-अच्छे लोगों को भी हिलाकर रख देती है। मृत्यु का दुख हो, या खुशी का आभास हो लेकिन पेट की आग घर से बाहर निकलने के लिए विवश कर देती है।
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