दुःख का अधिकार - यशपाल
लेखक उस स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि उसकी पोशाक रूकावट बन गई। जब उसने उस खरबूज़े बेचने वाली स्त्री को घुटनों पर सिर रखकर रोते देखा और बाजार में खड़े लोगों का उस स्त्री के संबंध में बातें करते देखा तो लेखक का मन दुखी हो उठा। कारण जानना चाहते हुए भी वह ऐसा नहीं कर पाया। यद्यपि व्यक्ति का मन दूसरों के दुःख में दुःखी होता है परन्तु पोशाक परिस्थितिवश उसे झुकने नहीं देती।
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