दुःख का अधिकार - यशपाल
लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने ओझा को बुलाकर झाडू-फूंक करवाया। नागदेव की पूजा हुई। पूजा के लिए दान-दक्षिणा दी गई। घर में जो कुछ आटा या अनाज था, दान-दक्षिणा में उठ गया। माँ, बहू और बच्चे, भगवाना से लिपट-लिपटकर रोए, पर सर्प के विष से उसका सारा बदन काला पड़ गया था और लड़का मर गया।
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