दुःख का अधिकार - यशपाल
पास-पड़ोस वालों से लेखक को पता चला कि बुढ़िया का 23 बरस का जवान लड़का था। घर में उसकी बहू और पोता-पोती है। लड़का शहर के बाहर डेढ़ बीघा भर जमीन में खेती कर अपने परिवार का निर्वाह करता था या कभी-कभी वह खरबूजे भी बेचता था। मुंह अधेरे बेलों में से पके खरबूजे चुनते हुए गीली मेड की तरावट पर आराम कर रहे साँप पर उसका पैर पड़ गया। साँप के डसने से उसकी मृत्यु हो गई।
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