दुःख का अधिकार - यशपाल
खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूज़े इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि वह घुटनों में सिर गड़ाये फफक-फफक कर रो रही थी। इसके बेटे की मृत्यु के कारण लगे सूतक के कारण लोग इससे खरबूज़े नहीं ले रहे थे।
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